


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के लाखों वाहन मालिकों को राहत देते हुए 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध के आदेश पर फिलहाल अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने यह निर्णय दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया है, जिसमें 2018 के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा:
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा।
अंतरिम आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस अवधि में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
दिल्ली सरकार की ओर से क्या तर्क दिए गए?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी:
कई लोग अपने पुराने वाहनों का उपयोग केवल सीमित दूरी जैसे घर से दफ्तर तक के लिए करते हैं।
ऐसे वाहन साल भर में मुश्किल से 2000 किलोमीटर ही चलते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें 10 साल के बाद हटा दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस नीति पर पुनर्विचार और लचीलापन जरूरी है, ताकि आम नागरिकों को अनावश्यक नुकसान न हो।
क्या है पृष्ठभूमि?
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आदेश जारी कर दिल्ली-NCR में:
10 साल से पुराने डीजल वाहनों और
15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था।
इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना था, लेकिन लाखों वाहन मालिक इससे प्रभावित हो रहे थे।
अब क्या होगा?
CAQM को कोर्ट के आदेश पर 4 सप्ताह में जवाब देना होगा।
तब तक पुराने वाहनों के मालिकों को कोई जुर्माना या कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
यह फैसला आगे की सुनवाई में बदले भी जा सकते हैं।